स्वास्थ्य

पूर्ण विश्राम हेतु योगनिद्रा

विश्राम के लिए हम नींद लेते हैं या लेनी पड़ती है, किन्तु आपने यह अनुभव किया होगा कि सारी रात सोने के बाद भी सुबह उठने पर आप थके हुए से लगते हैं। इसका अर्थ है कि आपको नींद का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में योगनिद्रा एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करती है। यह शरीर और मन को पूर्ण विश्राम देने का एक सरल उपाय है। इसके अतिरिक्त योगनिद्रा के निरंतर अभ्यास से आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है।
योगनिद्रा शरीर को तनावमुक्त और मन को चिंतामुक्त करने की एक विशेष विधि है। सामान्यतया आप या तो जगते हैं या फिर गहरी नींद में सो जाते हैं। लेकिन योगनिद्रा में आप पूर्णतः जागृत होते हुए भी शरीर और मन पर गहरी नींद के तमाम लाभ अनुभव कर सकते हैं। योगनिद्रा शरीर और मन को गहन विश्राम देती है। योगनिद्रा वह नींद है, जिसमें जागते हुए ही सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति ही योगनिद्रा है। इसे स्वप्न और जाग्रत के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह अर्धचेतन अवस्था जैसी स्थिति है।
योगनिद्रा खुली हवादार जगह पर करनी चाहिए। किसी बड़े कमरे या बरामदे में धीमे चलते पंखे के नीचे भी योगनिद्रा की जा सकती है। योगनिद्रा में नींद नहीं आनी चाहिए। वैसे यदि नींद आ जाती है, तो कोई हानि नहीं है, लेकिन योगनिद्रा का विशेष लाभ आपको नहीं मिल पाएगा।
योगनिद्रा की सरल विधि
पहला चरण- पहले शवासन करें। इसके लिए किसी स्वच्छ और हवादार स्थान पर दरी या कम्बल बिछाकर उस पर ढीले कपड़े पहनकर चित लेट जाएं। सारा शरीर ढीला छोड़ दें। दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेलियाँ खुली हुई कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखें बंद रखें। बहुत धीरे-धीरे साँस लें और मन को साँसों के आवागमन पर केन्द्रित करें। लगभग 5 मिनट शवासन करने के बाद दूसरा चरण प्रारम्भ करते हैं।
दूसरा चरण- इस चरण में सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णतः शिथिल किया जाता है। सांस लेना व छोड़ना पहले की तरह ही करते रहें। कल्पना करें कि आप के हाथ, पैर, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। अनुभव करें कि आपके संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और आप आनंदित हो रहे हैं। इस स्थिति में लगभग 5 मिनट रहें। इसके बाद तीसरे चरण में प्रवेश करते हैं।
तीसरा चरण- इस चरण में अपने मन को शरीर के विभिन्न भागों पर क्रमशः केन्द्रित करके उनको शिथिल और दर्दमुक्त किया जाता है। पहले अपने मन को दाहिने पैर की अंगुलियों पर ले जाइए और अनुभव कीजिए कि वे सब शिथिल हो रही हैं। इसके बाद क्रमशः दाहिने पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, तथा नितंब पर केन्द्रित करके उनको तनावमुक्त कीजिए। यही प्रक्रिया बायें पैर के सभी अंगों पर दोहराइए। फिर क्रमशः कमर, पेट, पीठ और सीने को इसी प्रकार शिथिल कीजिए।
यही प्रक्रिया पहले दायें और फिर बायें हाथ के विभिन्न अंगों – अँगुलियाँ, हथेली, कलाई, कोहनी, भुजदंड और कंधे के साथ की जाती है। फिर सिर, मस्तिष्क, आँख, कान, नाक और गले को भी इसी प्रकार शिथिल किया जाता है। अन्त में हृदय पर ध्यान को केन्द्रित करके उसे शिथिल किया जाता है।
इस प्रकार समस्त शरीर को शिथिल करने के बाद मन ही मन परमपिता को धन्यवाद देते हुए धीरे से आँखें खोल दीजिए और उठ जाइए।
योगनिद्रा की सारी प्रक्रिया में लगभग 30 मिनट से 45 मिनट तक लगते हैं। 30 मिनट योगनिद्रा करने से आपको तीन घंटे की गहरी नींद जैसा लाभ मिलता है।
योगनिद्रा के शारीरिक लाभ- योग निद्रा से रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभ मिलता है।
योगनिद्रा के मानसिक लाभ- इससे मस्तिष्क से तनाव हट जाता है। यह अनिद्रा, थकान और अवसाद में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। संकल्प करने से बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com