कविता

अमानत

तेरी अमानत ना हो ख्यानत
ये जमानत तुम्हें मैं देता हूँ
तेरी मोहब्बत रहे सलामत
ये वादा मैं तुमसे करता हूँ

जब जब तुम्हें मेरी याद सताये
मेरे दर पे तुम उस दिन आ जाना
हाजिर होऊँ तेरी प्यार की खातिर
मेरी वफा पर ना कभी शक करना

आसमान पे चमकते सितारे
गिनकर तुमको बतला   दूँ
कागज पर लिख लो हमारी
वादा ए मोहब्बत करता  हूँ

जेहन में तेरी यादें है ताजा
दिल की किताब में पढ़ लेना
उल्फत  भरी हो जाये जिन्दगी
सुख़ दुःख में भी सह लेना

चलो बन जायें एक बार अजनबी
एक दूजै को है पहचान करना
चलो बाग में गुफ्तूगू कर    लें
वादियों में हैं बस बस जाना

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088