कविता

नया साल

तारीखें व साल
बदल जाते हैं,
लोग जैसे थे
वैसे ही रह
जाते हैं।
22 के दिसंबर
जी अलविदा
कह चले,
कुछ ठंडक
कुछ गर्म
थे भले ।
23 की जनवरी
से होगा शंखनाद
बेमिसाल,
नवीन रोशनी
फैलाने को
उत्साहित हैं
नया साल।
— शालू मिश्रा नोहर

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - shalumishra6037@gmail.com