गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आंख से आंसू नहीं ज्वाला टपकनी चाहिए।
जंगे वास्ते तुम्हें भाला रखनी चाहिए।।

हो सफर कितना भी कठिन गम नहीं।
सुरक्षा के लिए इक दुशाला रखनी चाहिए।।

आएंगे मोड़ जिंदगी में हजारों कांटो भरे।
स्वागत के लिए एक माला रखनी चाहिए।।

नफरतों के जहान में प्यार चाहिए अगर।
दिल में भी अपने शिवाला रखनी चाहिए।।

दर्द होता है अगर तुमको हमारी चोट से।
खुद की जुबां को बंद करके ताला रखनी चाहिए।।

खुद को ही खुद से जीतना है अगर ।
मौत को समझ खाला रखनी चाहिए।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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