कहानी

कहानी – हाथ की लकीरें

रीना के जन्म के समय ही उसकी माँ का देहांत हो गया था उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली. दूसरी माँ सौतेला व्यवहार करती थी बात बात पर बोलती पता नहीं इस मनहूस से शादी कौन करेगा जन्म होते ही अपनी माँ को खा गई .और थोड़ी बड़ी हुई तो पिता को निगल गयी सारा बिजनिस बर्बाद हो गया इसके हाथ की लकीरें  न जाने कैसी है.
भगवान ही जाने” रीमा देखने में बहुत सुंदर थी.
वह कॉलेज में पढ़ती थी उसके साथ वाला रमन मन ही मन उसको बहुत चाहता था लेकिन अपनी दिल की बात करने में डरता था. एक दिन रीना घर लौटकर जा रही थी तभी एक लड़का रीमा से छेड़खानी करने लगे  और बोली ” कौन हो तुम लोग क्या चाहते हो मुझे जाने दो ” एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया तभी वहाँ रमन आ गया. उसने देखा रीना चीख रही है रमन ने लड़के को बहुत मारा रमन बोला ” रीना तुम्हें चोट तो नहीं आयी आओ मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ रीमा बोली ” मैं ठीक हूँ ” और वह रमन के साथ गाड़ी पर बैठ गयी.
धीरे धीरे दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गयी है पता ही नहीं चला कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर रमन ने रीमा से शादी करने की बात कही .
लेकिन रीमा अपनी मनहूसियत का साया रमन पर नहीं पड़ने दे सकती थी .
 रमन से बोली ” मैं यह शादी नहीं कर सकती हूँ शायद ये मेरी किस्मत में नहीं है तुम मुझे भूल जाओ “रमन बोला “कैसी बात कर रही हो मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं”
तब रीमा बोली ” मेरे जन्म होने पर मेरी माँ इस दुनियां से चली गयी  बड़ी हुई मेरे पापा भी मुझे छोड़ कर चले गए मेरी सौतेली माँ मुझे मनहूस मानती है वह रोने लगी”
यह सुनकर रमन ने रीमा को गले से लगा लिया और बोला ” ये फालतू की बातें को मैं नहीं मानता कोई कुछ कहता रहे मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता शादी मैं तुमसे ही करूंगा.
कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद रमन ने अपनी माँ से रीमा से शादी करने की बात बोली “इस पर माँ नाराज होते हुए बोली रीमा के बारे में जो कुछ मैने सुना है क्या वह सच है”
रमन बोला ” माँ आप भी कैसे दकियानूसी बातों में आ रही हो
ये सब बातें बेकार है”
माँ बोली “मुझे अपनी तसल्ली के लिए किसी पंडित से रीमा की  हाथ की लकीरें दिखानी होंगी जब ही  कुछ फैसला करुँगी
सब  पंडितजी के पास गए रीमा के हाथ की लकीरें देखकर बोले रीमा आपके घर के लिए शुभ है. यह बहुत समझदार और गुणवान है  यह सुनकर सब लोग बहुत खुश हुए रमन की माँ रीमा के यहाँ गयी .रीमा की माँ शादी के लिए तैयार हो गयी और रीमा से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने लगी. रीमा ने उनको माफ कर दिया दोनों की शादी हो गयी सब बहुत ही खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे.
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश