गीतिका/ग़ज़ल

रंग जिंदगी के

रंग जिंदगी के

होते बहुत निराले हैं रंग ज़िन्दगी के,
उल्फ़त कभी जफ़ा से हैं रंग ज़िन्दगी के l

उल्लास की ज़मीं पर तारे उतार लाती,
होटों पे तबस्सुम से हैं रंग जिंदगी के l

बाज़ारे मुफ़्लसी में ईमान का सौदा है,
उम्मीद की कली से हैं रंग जिंदगी के l

सुख हैं तो कभी दुख है तन्हाइयाँ कहीं पर,
रौनक में कज़ा जैसे हैं रंग जिंदगी के l

छल दम्भ द्वेष रुपी कारा को तोड़ दे गर,
पुरनूर जुगनुओं से हैं रंग जिंदगी के |

माना की तंग राहें दुश्वारियाँ बहुत हैं,
अनुभूतियाँ समेटे हैं रंग ज़िन्दगी के|

दिल की पवित्रता में करुणा, दया, छिपाए,
बहती सहस्त्र धारा हैं रंग जिंदगी के |

हैं स्याह कभी उजली सोने सी रूपहली सी,
गज़लों की बहर जैसे हैं रंग ज़िन्दगी के l

होती हैं धूप – छाँव ‘मृदुल’ ज़िन्दगी की राहें,
बरसात के मौसम से हैं रंग ज़िन्दगी के l
मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल ‘
लखनऊ

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016