लघुकथा

नया मुक़ाम

राखी और रोहन दोनों ही कॉलेज के जमाने से एक दूसरे से प्यार करते थे और साथ जीने मरने की कसमें खाते थे। एमबीए पूरी करने के बाद भी उनका रिश्ता बरकरार रहा। दोनों को अलग-अलग कंपनियों में नौकरी मिली परंतु फिर भी कोई शाम ऐसी नहीं होती थी जब वे ना मिलते हों। ऑफिस के बाद नियमित रूप से उनका मिलना जुलना चालू रहा। राखी की खास परफॉर्मेंस के हिसाब से उसकी कंपनी उसे प्रमोशन देना चाहती थी ।परंतु रोहन को इस बात का डर था कि जिम्मेदारियों के बढ़ जाने से राखी उसे ज्यादा समय नहीं दे पाएगी इसलिए उसने राखी को पदोन्नति लेने से इनकार करने को कहा। राखी ने भी उसकी बात का मान रखा।
धर्म अलग होने की वजह से रोहन के परिवारवाले इस रिश्ते के लिए राजी नहीं थे। राखी ने जैसे तैसे अपने घरवालों को राजी किया ही था कि इसी बीच रोहन का तबादला शहर से बाहर हो गया ।अब रोहन और राखी केवल फोन पर ही बात कर पाते थे वह भी कभी-कभार।
6 महीने के बाद राखी को एक कॉमन फ्रेंड से जब यह पता चला कि रोहन ने अपनी ही कंपनी की सीईओ श्वेता के साथ शादी कर ली और हमेशा के लिए अमेरिका शिफ्ट हो गया, तो वह बुरी तरह टूट गई।
एक दिन जब राखी रोहन के पुराने मैसेज पढ़ रही थी तो उसे एक इंटरनेशनल कंपनी से मेल आई जिसमें उसे सीईओ की पोस्ट के लिए आमंत्रित किया गया था। काफ़ी सोचने के बाद राखी इस नौकरी के लिए तैयार हो गई।यदि रोहन से उसका विवाह हो गया होता तो वह जीवन में कभी भी रोहन से आगे बढ़ने की नहीं सोचती। शायद रोहन की बेवफाई ने उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और उसके आत्मविश्वास को एक नया मुकाम दिया।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली