मुक्तक/दोहा

गाँधी-वंदना के मुक्तक

(1)
मुझे गांधी ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन।
बनाऊँ कैसे मैं इस देह और मन को प्रखर,पावन।
मुझे नैतिकता-पथ दिखलाके,रोशन आत्मा कर दी,
पूज्य बापू के कारण ही,महकता है मिरा मधुवन।।
(2)
जिये सत् भाव लेकर गांधी,सौंपा हमको यह ही स्वर।
अहिंसा-ताव लेकर बन गये,मानव से वे इक सुर।
युगों तक वंदना गांधी की होगी,इस सकल जग में,
जो करुणा -सीख दी हमको,सभी करते उसी का वर ।।
(3)
राष्ट्र के बन गए बापूू,बात यह उच्चता रखती।
सिखाया मान मानव का,सीख सर्वोच्चता रखती।
वैष्णव जन का गाकर गीत,शोषित को लगाया दिल,
जो गांधीवाद ना समझे,बात यह तुच्छता रखती।
(4)
मद्य को त्याग दो हर एक,यह गांधी ने सिखलाया।
रखो ख़ुद पर सदा संयम,यही पथ हमको दिखलाया।
व्यसन तज दो सभी,तो तेजमय,बन जाओगे मानव,
पूज्य बापू ने अंतर तेज का,नग़मा मधुर गाया।।
— प्रो. (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com