चांद: तुम घुमंतु हो!
चांद,
तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं
घुमंतु तो हो ही!
कहीं टिककर रहना तो
तुमने सीखा ही नहीं
वैसे घुमंतु होने का भी
अपना आनंद है
नए-नए मनोहारी स्थलों के
दर्शन भी करो
और ज्ञानवर्धन भी हो!
चांद,
तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं
घुमंतु तो हो ही!
कहीं टिककर रहना तो
तुमने सीखा ही नहीं
वैसे घुमंतु होने का भी
अपना आनंद है
नए-नए मनोहारी स्थलों के
दर्शन भी करो
और ज्ञानवर्धन भी हो!