गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्यार के गांव में इश्क की छांव में ये जीवन गुजर जाए
पास महबूब हो छांव हो धूप हो वो दिल में उतर जाए

कुछ कहें कुछ सुनें चार बातें करें हम से वो एक दो मुलाकातें करें
मेरे तन मन को महका दे इस कदर बनके खुशबू बिखर जाए

एक वो चांद है एक ये चांद है दोनों ही रोशन आबाद हैं
मेरे हिस्से में एक चांद आ जाए तो मेरी किस्मत संवर जाए

तेरी परछाइयां मुझे छूने लगी दिल में एक बेचैनी सी होने लगी
देखती हूं जिधर देखती हूं तुम्हें हर जगह तू ही नज़र आए

मस्त मौसम है दिल में तूफान है मेरे लब पे तुम्हारा ही नाम है
तेरे कदमों की आहट पे चलते हैं हम तू चाहे जिधर जाए

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर