कविता

मुसकराहट

मुसकराहट आप के लबों पर – हमें लगती है बहोत पयारी
रूठने से आप के अधूरी सी – हो जाए गी ज़िनदगी हमारी
पयार दुनिया में किया जाता नही – कभी भी हद में रैह कर
असूल तोडे नही जाते नही – बुरा कैह कर ज़िनदगी में हमारी
फ़ना मत की जिये कभी भी – अपने दिल के अहसासों को
क़ाबू में रखना चाहिये हमेशा – अपने दिल की ख़वाहिशों को
दरद उन को भी बहोत है हम से – बिछडने का ज़िनदगी में
याद उन को भी बहोत आती है – हर रोज़ ज़िनदगी में हमारी
बियान कैसे करें हम आप से – अपनी ज़िनदगी के मरहलों को
तमाम उमर जिस को देखा है – हम ने तो तमाशाई ही बन कर
उमर सारी हमारी बीत गैई है – रिशतों को समझते समझते
परदा मौत ही ने गिरा दिया – समझ में जब आई ज़िनदगी हमारी
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क़िसे हमारी बे बस ज़िनदगी के – अब हम से सुनाए नही जाते
दाग़ अपने दुखी दिल के अब तो – हम से दिखाए ही नही जाते
बीच मनझदार में ही छूट गैई – पतवार कशती की हमारे हाथों से
ख़ुद अपने ही हाथों से हम ने – जला दी हर ख़वाहिश ही हमारी
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खेल ज़िनदगी का तब तक है – आप के साथ ज़िनदगी में –मदन–
ढ़ोर ज़िनदगी की पतंग की – जब तक है आप के हाथ में
खोना चाहते नही हैं हम आप को – ज़िनदगी में किसी भी हाल में
बिना आप के तो साँसे ही हमेशा – के लिये रुक जाएं गी हमारी

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570