निवेदन
स्त्री करती तुमसे निवेदन
मेरा भी सम्मान रखना।
घर को मन्दिर सा कर दूंगी
दिल में मेरा स्थान रखना।
फिक्र करूंगी सदा सभी की
तुम मेरा भी ध्यान रखना।
दुख में सम्बल बनी रहूंगी
दर्द का मेरे भान रखना।
भूल ना जाऊं उड़ना कहीं
पंखों में मेरे जान रखना।
बंंधी रहूंगी हर मर्यादा से
उड़ने को आसमान रखना।
— नीतू शर्मा मधुजा