कविता

कविता – घर आंगन की शान है बेटी

पढ़ती और पढ़ाती बेटी।
शिक्षित समाज बनाती बेटी,
होती है मां की प्यारी वह,
कभी नहीं घबराती बेटी।

पिता का सम्मान है बेटी,
माता का अरमान है बेटी।
भाई, बहन की प्रिय साथिन,
घर आंगन की शान है बेटी।

लक्ष्मी पन्ना पद्मिनी हैं बेटी।
सत्साहत की धनी है बेटी ,
सुदूर अंतरिक्ष में जाकर,
कल्पना जैसी बनी है बेटी।

मुरली की धुन तान है बेटी।
और कभी अज़ान है बेटी ,
सहे कष्ट पर धैर्य न छोड़े ,
देश का गर्व मान है बेटी।।

— आसिया फारुकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र