कविता

लिखित फरमान

कल रात यमराज का दूत मेरे पास आया
बड़े विश्वास से यमराज का फरमान सुनाया
बड़े आत्मविश्वास से मैंने भी
उसे अकड़ दिखाया और लिखित फरमान मांग बैठा।
दूत को इसका गुमान न था
वो हड़बड़ाया और खुद से शरमाया
वो सोचने लगा यमराज ने मुझे कहां फंसा दिया।
मैंने अपना प्रश्न दोहराया
लिखित फरमान की मांग दुहराया।
उसने सम्मान से सिर झुकाया
अपने हाथ खड़े कर बताया
सिर्फ मौखिक फरमान पर हुकुम बजाने आया।
मैं भी ताव में आ अकड़ गया
मौखिक फरमान का क्या मतलब है
कल को यमराज मुकर जाय तो मेरा क्या होगा?
तो हे  यमदूत मेरी मांग यमराज तक पहुंचा दो
मेरा समय पूरा हो गया है यही लिखवाकर ला दो
मैं नियम कानून से चलने वाला आदमी हूं
जीवन भर मैंने नियम कानून का पालन किया
तो मौखिक आदेश पर तुम्हारी बात कैसे मान लूं?
मेरा आत्मविश्वास अब भी कमजोर नहीं है
अपने बाप, बीबी, अधिकारी या सरकार का
जब मौखिक फरमान मैंने नहीं माना
तो यमराज बड़ा सयाना है क्या?
मुझे उसका फरमान नहीं मानना
मुझे ले चलना चाहते हो तो अभी जाओ
और अभी हाथों हाथ
नाम, पदनाम, सहित हस्ताक्षर दिनांक मुहर सहित
डिस्पैच नं के साथ आदेश की मूल प्रति लेकर आओ।
तब तक मैं तुम्हारा यहीं इंतजार करुंगा
इस गलतफहमी में मत रहना कि मैं
तुमसे नहीं तो यमराज से डर जाऊंगा,
मेरा आत्मविश्वास बहुत मजबूत है प्यारे
यमराज भी आ जाय तो भी बिना लिखित आदेश के
उसे भी ठेंगा ही दिखाऊंगा,
आज तक सबको झुकाया है तो
यमराज को भी हर हाल में झुका दूंगा,
मैं नहीं चाहता भंग हो
हमारे समाज की कानून व्यवस्था
या फिर हो कोई पंगा या दंगा।
यमदूत हैरान परेशान हो गया,
मेरे कदमों में झुका, फिर सीधा होकर
चुपचाप वापस लौट गया,
मैं फिर अपने आत्मविश्वास से
अपनी दुनिया में मस्त हो गया।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921