कविता

नटवर नागर

काश होता उस वक्त अवतरण
उस इतिहास का करती विचरण
जहाँ वृषभानुजा के संग
रास रचाते थे किशन

या फिर महलों को त्याग
किया वन उपवन मंदिर में गमन
गरल को कर दिया सुधा
देखती वो भक्ति मीरा के मोहन

माखन जब तक ना करते चोरी
हलधर से चलती जोरा जोरी
गगरी को फोड़ना नहीं माना.
देखती तो कैसे थे यशोदा के कान्हा

चीरहरण का हृदय विदारक दृश्य
लाज बचाई यज्ञसेनी की
दुचारियों ने मात चखा
कैसे थे द्रौपदी के सखा

काश होता उस वक्त अवतरण
देखती हर वह एक प्रकरण
साक्षी होती हर एक पल की
हो जाती नटवर की जोगन

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com