कवितामुक्तक/दोहा

इश्क की इश्क से बात होने लगी।

इश्क की इश्क से बात होने लगी,
दिन सुहाने हसीं रात होने लगी।
वो नज़र से कभी दूर हटती नहीं
इस कदर अब मुलाकात होने लगी।

सिलसिला ए मुलाकात, चलता रहा ,
प्यार में दिल तड़पता, मचलता रहा।
तेरी चाहत में छुपकर दबे पांव से,
तुमसे कॉलेज बहाने मैं मिलता रहा।

स्वरचित एवं मौलिक रचना।

प्रदीप शर्मा ✍️✍️

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश