गीत/नवगीत

वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ।

बिना वृक्ष संकटमय जीवन,मूल मंत्र ना समझ में आया

भोग विलास में भूल गए थे,जीवन भर ना वृक्ष लगाया।
जीवन भर ना वृक्ष लगाया,और वनों को काट रहे हैं
ऑक्सीजन के लाले पड़ गए,तौल तौलकर बांट रहे हैं।
बढ़ता प्रदूषण दिन प्रतिदिन,बिगड़ रही जीवन की काया
भोग विलास में भूल गए थे,जीवन भर ना वृक्ष लगाया।
वृक्ष आपदाओं से लड़कर,सूखा बाढ़ को दूर भगाते
और पक्षियों को घर देकर,मीठे राग हमें सुनवाते।
वृक्ष बिना बेघर हुए हैं खग,बिना वृक्ष के दुर्लभ छाया
भोग विलास में भूल गए थे,जीवन भर ना वृक्ष लगाया।
शुद्ध वायु और बिना फलों के,रोगयुक्त हो रहा है जीवन
पल पल बढ़ें विषैली गैसें,और घट रही है ऑक्सीजन।
पर्यावरण को शुद्ध बनाओ, यही मंत्र प्रदीप को भाया
भोग विलास में भूल गए थे,जीवन भर ना वृक्ष लगाया।
— प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश