कविता

निर्भीक बनें आक्रामक नहीं

जीवन के भी कुछ उसूल तय कीजिए
आक्रामक नहीं निर्भीक जरुर बनिए
निर्भीकता हमारे लिए  सरल ,सहज है
आक्रामकता से मुश्किलें खड़ी होती हैं
निर्भीकता कमजोरी नहीं होती
आक्रामकता कभी भी जरूरी नहीं होती।
निर्भीकता कमजोरी की पहचान नहीं है
आक्रामकता आपके पौरुष का स्वाभिमान नहीं है।
निर्भीक निडर रहना सीखिए
आक्रामकता से चार कदम दूर ही रहिए।
आपको बोध हो जाएगा
दोनों में आपका साथ कौन निभाएगा
कौन आपको मुश्किलें देगा
कौन मुश्किलों से बचाएगा।
थोड़ा बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कीजिए
निर्भीकता को दोस्त बनाइए
आक्रामकता से खुद को बचाइए।
ये जीवन आपका है यह समझिए
आपके हितार्थ क्या है
खुद ही फैसला करिए,
आक्रामक नहीं निर्भीक जरुर बनिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921