कविता

ख़ुद्दारी ज़रूरी है जीने के लिए

ख़ुद्दारी ख़ुद्दा की प्रीत है,
जीवन का सुरीला संगीत है,
ज़रूरी है जैसे जल तरु के लिए,
ख़ुद्दारी जीवन की ज़रूरी रीत है.
ख़ुद की पहचान है ख़ुद्दारी,
सुकून का सरोकार है ख़ुद्दारी,
जगह दो ख़ुद्दारी को अपने पहलू में,
इज़्ज़त का आधार है ख़ुद्दारी.
अपेक्षित है ख़ुद्दारी मनुजता के लिए,
खुद से मुहब्बत का नाम है ख़ुद्दारी,
ख़ुद्दारी ज़रूरी है जीने के लिए,
व्यक्तित्व का दर्पण है ख़ुद्दारी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244