कविता

मिहनत को हथियार बनाओ

मिहनत को अपना हथियार बनाओ
जीवन में सफलता का जश्न मनाओ
मिहनत है जग में वो एकमात्र सोपान
बुलंदी पर पहुँचने का है     फरमान

जीवन में सफलता गर पाना     है
परिश्रम को   सब को अपनाना है
खेत में अन्न का होगा       पैदावार
मिट जायेगी बेरोजगारी की  मार

मिहनत जिनका दोस्त      बनेगा
सफलता की हर मुकाम   मिलेगा
जग में मिहनत  का करो  सम्मान
मत कर आलस पर    कभी गुमान

आलस का गर तुम गुलाम    बनेगा
भूखों मरने का  स्वयं गुनहगार बनेगा
परिश्रम को कर जीवन में।      सलाम
मिल जायेगा रोजगार का खुद ईनाम

काम करने में कैसी सकुचाहट
मिहनत से है तुम्हें क्यूँ घबराहट
सफलता का मूल मंत्र  इसे जान
जीवन में ना होगा कभी   परेशान

हाथ पे हाथ धरे ना मिलेगा   किनारा
मिहनत है जीवन का बड़ा एक सहारा
आओ मिहनत को हम करें आह्वान
मिहनत को करना है जग में    प्रणाम

मिहनत के डर से ना लेना है   किनारा
मिहनत से बना है उद्योगपति  दुलारा
ख्वाबों का पूरा करना है गर अरमान
करना है जीवन में मिहनत के   नाम

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088