धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

गुरु के महत्व को नहीं समझना

हमारे जीवन में गुरू का बहुत महत्व है इसको अगर हमने सही से नहीं समझा तो मानो कुछ भी नहीं समझा। गुरू हमें नेक शिक्षा देते हैंकि जीवन का अनमोल रत्न-वर्तमान हो। आत्मबल का महत्व-वर्तमान हो। विकास-कर्तृत्व आइना-वर्तमान हो।जोश, उत्साह,उपलब्धि-वर्तमान हो तो मोक्ष हैं। इसलिए जीवन घड़ियाँ नेक बनाऊँ। नए सृजन के दीप जलाऊँ। बढ़े सदा पौरुष का जीवन मेंस्पंदन।रुके नही प्राणों की धड़कन।करूँ वृत्तियों का में शोधन मुझे मिले यही सब गुरू से अनुपम उद्दबोधन। किसी ने कहा हैं की – गुरूके गुण गाए जा मस्ती जे तराने,ठंडी आहें भरना क्या..? मौत आए ती मार भी लेंगे,मौत आने से पहले डरना क्या..? जिसकी सोचसकारात्मक होती है वह महात्मा की तरह हर परिस्थिति में आनंदित व प्रसन्नचित रहता हैं।उसका वर्तमान ही मोक्ष हैं।गुरू का मननिर्मल होता हैं। गुरूवाणी या रामायण सा ग्रंथ क़ुरान आदि का यह ईश्वर का संदेश हैं व सब एक समान हैं। गुरू की महिमा का उल्लेखकरते हुए कहा गया है की सर्व शक्तिमान वही श्री वही ज्ञान जो अपने आप से वही कराता पहचान हैं। बीतें हुए को हम कभी न सोंचे सदा आनेवाले के हित की सोचे छुपी हैं जिसमें हमारी मौजें शालीन हो हमारा व्यवहार। आगत में स्वागत में हर बार। वह समय जोउदासीन था। कटता रहा जो गमगीन था। मन के खुले आँगन में इन सब प्रेरणाओ को गुरू की शिक्षा से ज्ञान रश्मियाँ भीतर में उतरने दो।धूप की मध्यमता को भीतर में यूँ ही उछलने दो। कब तक चलेगा मन एक धुरी पर? एक ही रेखा पर ? धागे भी टूट जाते हैं सीधा खींचतारहने पर।समय जो ख़ुशनुमा हैं अंधेरा नही उजाला रहने पर। मन के भाव को रिक्त ना कर , मन की यह धुरी बदल रही, सीधी ना होकरगोल हो रही, उसी चाल अनुरूप उसी के सहारे। मन के दर्द को उतरने दे, शब्दों के मोती बनने दे, आशाओं के दीप जलने दे, स्वप्न सुनहलेसंजोकर उसमें नयी स्वर्णिम गति भर दे। गुरू शिक्षा से मन परम निर्मल हो जाएगा। शुभ विचारों से जीवन सारा जगमगाएगा। दिव्यवातावरण के प्रसाद की आभा में मन को अमिय पग़ि नेह का शृंगार मिलेगा।अंतसरू की चाह जगते ही यह मन निर्मलता की ओर परमहोता चला जाएगा। समय की धारा बहती जाये नहीं लेती कभी विराम करें जो समय का सही प्रबन्धन और सम्मान गुरू की प्रेरणा वमार्गदर्शन से करे उसके समय देवता हो जाते मेहरबान।लक्ष्तित मंजिल मिलती, मिलता सब जगह सम्मानऔर ऎशो आराम। समय नहींहैं, समय नहीं हैं, लेता न कभी यह नाम, करके चलता ,अपने समय का सही से गुरू शिक्षा से प्रबन्धन ,वही बनता महान, महान। वहीबनता महान। समय का महत्व होता हैं।दुनियाँ की सबसे बड़ी चीज हैं वक्त, एक बार हाथ से निकल गया तो ,वापिस लौट कर नहींआता।अतः समय का गुरू की शिक्षा से सदुपयोग करें,करे मानव जीवन के समय का सम्मान,पायें लक्ष्य !बनें महान , बनें महान।

तभी तो कहा हैं की जीवन में गुरु के महत्व को नहीं समझा तो कुछ नहीं समझा।

— प्रदीप छाजेड़

प्रदीप छाजेड़

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