गीतिका/ग़ज़ल

आपका दिल

आपका दिल आशियाना सा मुझे दिखने लगा,

आपकी बोली लगी मैं प्यार से बिकने लगा।

इस कदर खुद को भुलाकर हो गया मसरूफ हूं,

आपकी तस्वीर रखकर शायरी लिखने लगा।

हर ग़ज़ल हर शेर पर तुम इस कदर छाए हुए

इश्क भी अब सूफियाना सा मुझे दिखने लगा।

यह मुसलसल इश्क तेरा जान का दुश्मन बना,

आपका ये इश्किया अंदाज अब जॅंचने लगा।

मंदिरों में मन्नतें मैं मांगता तेरे लिए ,

आपमें अब रब मुझे हर मोड़ पर दिखने लगा।

— प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश