कविता

खुशी की वजह

खुशी की कोई वजह नहीं होती
वजह समझनी पड़ती है
वजह बनानी पड़ती है
वजह खोजनी पड़ती है।
ये हम पर निर्भर करता है
कि हमें कब खुश रहना है
वजह पर निर्भर रहकर खुश होना है
या खुश रहने की वजह खोज ही लेना है।
आप खुश रहने को जब तैयार होंगे
वजहें तो हजार मिल जायेंगी।
आप थोड़ा ही खुश रहना तो चाहें
वजहें आस पास ही नजर आ जायेंगी
खुशियों की पृष्ठभूमि मिल ही जायेगी।
खुश रहकर खुश रहने की वजह
तलाशने की जरूरत नहीं पड़ेगी,
वजह बेवजह आपसे टकरायेंगी
खुशियों की नई नई इबारतें
हर क्षण लिखती जायेंगी
खुशियों में भी खुशियां मिलती जायेंगी
खुशियां हजार गुना हो जायेंगी।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921