सांसें और नाम
जब जन्म लेते हैं…,
सांसें होती हैं, नाम नहीं होता…।
जब मरते हैं…,
नाम होता है, सांसें नहीं होती…।।
सांसें और नाम के बीच को ही
शायद जिंदगी कहते हैं…!
और जिंदगी…!
पीड़ाओं से पीछा छुड़ाते छुड़ाते
हम जान जाते हैं कि
एक दिन जब देह मिट्टी हो जाएगा ।
पवित्र अग्नि से गुजर कर
कुछ शेष न रह जाएगा ।।
तब बची रह जाएगी
इस मन के पीड़ा के तंतु
जिनको गुंथकर
बने नैया के सहारे
वैतरणी पार होगी ।
अंतः यह दुख ही
हमें ईश्वर से मिलाएगा
और जिंदगी में
नाम ही रह जाएगा ।।
— मनोज शाह मानस