गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बताना सुनो मामला चाहता हूँ
किया प्यार मैंने वफ़ा चाहता हूँ

सलामत रहो तुम कहूँ मैं यही अब
खुदा से तुम्हें माँगना चाहता हूँ

अकेला रहा आज तक मैं सुनो तो
अभी साथ तेरा सदा चाहता हूँ

न दुविधा मुझे है किसी भी तरह की
अभी साफ़ ये रास्ता चहता हूँ

खिलाए फूल अब तो मुहब्बत हमारी
अभी तो चमन ही भरा चाहता हूँ

घड़ी ग़म भरी देख कोई न आये
सदा प्यार की हवा चाहता हूँ

बड़ा खूबसूरत अक्स है तुम्हारा
सुनो देखना हर अदा चाहता हूँ

रजत चाँदनी – सी खिली तुम हुई हो
रहूँ मैं यहीं पर रज़ा चाहता हूँ

नहीं ली अभी तक सुनो सुधि तुम्हारी
हुई भूल मुझसे क्षमा चाहता हूँ

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’