कविता

विश्वास बना रहे

मैं चाहे अकेली चलूँ,
पर तेरे होने का अहसास बना रहे।
मैं भले अंधेरों में भटकूं,
पर तेरी कृपा का प्रकाश बना रहे ।

चाहे कितने दुख क्यों न झेलने पड़े मुझे,
पर सदा तुझ पर विश्वास बना रहे।
चाहे कितना विलंब हो
तेरे इंसाफ में,
मेरे मन में श्रद्धा और सब्र का प्रभाव बना रहे।
कितनी ही परेशानियां सामने हो,
पर चेहरे पर खुशी का भाव रहे।

चाहे कुछ मिले या न मिले,
मन तेरा दास बना रहे,
तुझ पर सदा मेरा विश्वास बना रहे।

— अंकिता जैन अवनी

अंकिता जैन 'अवनी'

लेखिका/ कवयित्री अशोकनगर मप्र jainankita251993@gmail.com