गीत/नवगीत

बेचारगी

ज़ख्मों से भरी जिंदगी, जाएं तो कहां जाएं।

होती नहीं अब बंदगी, जाएं तो कहां जाएं।

जिंदा तो हैं जीने का, एहसास नहीं कोई,

सामान है सब ग़म का, पर पास नहीं कोई,

 दिल चाहे अब रवानगी, जाएं तो कहां जाएं।

अब के बरस खुदाया, आई है क्या बहार,

जलवे नहीं हैं कोई, हर शै लगे बेज़ार,

तबियत में है बेचारगी, जाएं तो कहां जाएं।

चुभने लगा है दिल में, बंजारापन ख़लीश सा,

बेचैनी बन के हर पल, रहने लगा रंज़ीश सा,

बढ़ने लगी दीवानगी, जाएं तो कहां जाएं।

दिल कहता हां ज़हन न, हरपल है जंग जारी,

खुद से इश्क में लड़ना, उफ़ कैसी अदाकारी,

होती नहीं अदायगी, जाएं तो कहां जाएं।

है आईना हर एक, दर ओ दीवार पे लगा,

बे नूर है ये जिंदगी, जीना है एक सज़ा,

बढ़ने लगी है तीरगी, जाएं तो कहां जाएं।

पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है