गीत/नवगीत

झमाझम बारिश, शोर मचाए

पवित्र सावन का ,महीना आया
घनघोर घटाएं, साथ में लाया
झरने, नदियां, सब खिलखिलाए
सौंदर्य पृकृति का, वरणा न जाए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

शिव मंदिरों में, भीड़ है भारी
दर्शन को उत्सुक,‌ सब नर-नारी
बेल पत्र और, मंदार पुष्प संग
पूजा की थाली, कर में सजाए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

चारों तरफ है, हरियाली छाई

सूखे वृक्षों पर, रौनक लौट आई
डाली-डाली, झूमी मदमाई
पत्ता- पत्ता, सुगंध बिखराए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

तेज हवाएं सब, बहा ले जाएं
ऐसे में कैसे, भला संभला जाए
खुद को बचाएं, या छतरी उठाएं
छाता हवा में , उलट-पुलट जाए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

पहाड़ों पर ज्यादा, खौफ मचाया
किसी को भी,कुछ समझ न आया
भूस्खलन हुआ, और पर्वत दरके
फंसे पर्यटक, कुछ सूझ न पाए
झमाझम बारिश,शोर मचाए ।।

मायकों में जैसे, रौनक लौट आई
सावन के गीतों ने, फिजा महकाई
घर-घर झूलों का, हुआ पदार्पण
ऊंचे पेंगों से, मन झूल- झूल जाए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

बच्चे बड़े सभी, घूम रहे हैं

बारिश की बूंदों में, झूम रहे हैं
कुदरत की इस, अनूठी अदा पर
सबका ही दिल ,मचल-मचल जाए
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।
झमाझम बारिश, शोर मचाए।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई