कविता

वे कह रहे हैं

चोर है डाकू है

स्मगलर है 

पहचान छिपाकर 

हुलिया बदलकर छेड़ता है लड़कियां

गैर मजहबी…

कट्टा निकालता है

छूरा -पत्थर सब चलाता है

वे कह रहे हैं शक मत करो

आदमी भी है और सेक्यूलर भी…

उनके लिए आदमी का मतलब

दो टांग और काम उटपटांग…

— मोती प्रसाद साहू 

मोती प्रसाद साहू

जन्म -1963 वाराणसी एक कविता संग्रह-पहचान क्या है प्रकाशित विभिन्न दैनिक पत्र-पत्रिकाओं ;ई0 पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन संपर्क 9411703669 राजकीय इण्टर कालेज हवालबाग अल्मोड़ा उ0ख0 263636 ई0 मेल- motiprasadsahu@gmail.com