कविता

बदले बदले से आप

आजकल आप
बदले बदले से नजर आते हैं,
भाव खा रहे हैं या कुछ और बात है?
कोई बड़ा हाथ मार दिया है या
समय अनुकूल नहीं है,
आपकी किस्मत रुठी है
या मुझसे कोई भूल हुई है।
या सचमुच आपका अंदाज बदल गया है,
हम या हमारे जैसा इंसान
अब आपको समझ नहीं आ रहा है।
जो भी साफ साफ कहिए
और आप यूं ही बदले बदले रहिए,
मगर यूं फेरकर रास्ते में मुंह तो मोड़िए,
कम से कम इंसानियत की तो नज़ीर बनिए
भले ही बदल गये हों आप
मगर खुश तो रहा करिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921