कविता

सावन का सच

अहा ! आया सावन, कृषक हरषाये

बागों में बहार ले कर आये 

हरि हरितिमा सबके मन भाये 

गरमी से भी निज़ात दिलाये ।

त्योहारों का श्री गणेश सावन में 

झूले लग जाते बागों में 

इठलाती बलखाती बाला के मन में

यौवन नर्तन करे मन ही मन में ।

हरी चुड़ियों से सजे कलाई 

मेंहदी हाथों में रंग लाई 

भीनी खुशबू मदहोश बनाये

कामदेव धरती पर आये ।

कहीं प्रलयंकारी बाढ विभिषिका 

कहीं प्रचंड धूप से बने मरिचिका 

सूखी धरती, दरारें भी फटी

जनता-जनार्दन कराह उठी ।

राजनेता सब हो मालामाल

बाढ़ और सूखा राहतकोष के नाम 

राजकोष खाली कर देते ।

नये टैक्स लगाकर पुनः भर लेते । 

ऐसा प्यारा सावन सुहाना  

आस और उम्मीद का दीप हो जगमग 

भोलेनाथ को करूं जलार्पण

हे प्रभू रखना स्वस्थ यह जीवन ।

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com