कविता

आजादी का मतलब

आजादी का मतलब क्या है
हम आप जानते हैं?
शायद हां या शायद नहीं
यदि हां तो कैसे और नहीं तो क्यों?
चलिए कोई बात नहीं मैं ही बताता हूं
आजादी का मतलब क्या है ?
खुलकर समझाता हूं।
आजादी का मतलब यह तो नहीं है
कि हम पूरी तरह आजाद हैं
हां ये जरूर है कि अब हम भी जिम्मेदार हैं ।
खुद के साथ परिवार समाज राष्ट्र को उन्नति पथ पर
ले जाना अब हमारी जिम्मेदारी है,
शांति सौहार्द भाईचारा संग
उन्नति के पथ सुगम बनाना भी
अब हम सबकी जिम्मेदारी है।
परिवार समाज राष्ट्र सुसंस्कृति और शिक्षित हो
सभी के लिए आवागमन,स्वास्थ्य सुविधाएं सुगम हों
शिक्षा कला साहित्य, संस्कृति का विकास हो
राष्ट्र को उन्नति शिखर पर पहुंचाने में
हमारा भी थोड़ा ही सही मगर अनिवार्य योगदान हो।
हर किसी का पेट भरा हो,
मानवीय संवेदनाओं की बहती बयार हो
धर्म जाति क्षेत्र भाषा का न विवाद हो
सभी धर्मों और धार्मिक स्थानों
मान्यताओं, परंपराओं का सम्मान हो।
किसी एक के लिए भी
किसी के मन में न कटु भाव हो,
सभी मातृ शक्तियों का सम्मान हो
उनकी इज्जत से न खिलवाड़ हो।
हम खुश रहें यह तो अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा है
पर हमारा पड़ोसी भी खुशहाल रहे
ऐसी हमारी सोच विचार ही नहीं कृत्य भी हो।
जिनके बलिदानों की बदौलत हमें ये आजादी मिली
उनका सम्मान हरहाल में बना रहना चाहिए,
राष्ट्र का सम्मान बढ़ता रहे
हम सबको ऐसा कुछ करते रहना चाहिए।
हमारा देश हमारी मातृभूमि
हमारा गौरव ही नहीं
हमारी भारत मां भी है।
अपनी भारत मां का मस्तक
सदा ऊंचा रहे, हमें ऐसे काम करना चाहिए,
तिरंगा शिखर पर सदियों तक लहराए
हम सब गर्व से मुस्कुराएं और
आजादी का उल्लास मनाएं,
आजादी का यही मतलब है
आओ! सबको समझाएं।
आजादी का मतलब यह भी नहीं है
कि हम गुमराह या निरंकुश हो जायें
देश विरोधी कार्यों
भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार,
लूटखसोट, व्यभिचार के दलदल में
फंसते चले जाएं।
आजादी का मतलब यह तो नहीं
कि हम मनमानी करने लग जाएं
और दोहरे मापदंड अपनाएं।
आजादी की आड़ में अपने कर्तव्य
अपनी संस्कृति और सभ्यता के साथ
अपनी जिम्मेदारी को ही भूल जाएं।
मेरा निवेदन है हर एक भारतवासी
जब हम आप अपनी जिम्मेदारी निभाएं,
तब ही जश्न-ए-आजादी मनाएं
तब ही शहीदों को शीष झुकाएं,
आजादी की खुशियां और स्वतंत्रता दिवस की
महज औपचारिकता न निभाएं।

*सुधीर श्रीवास्तव

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