पर्यावरण

वन्य जीवों के लिए क्या लाभकारी है ? वाइल्ड लाइफ सेंचुरी या चिड़ियाघर 

विदेश से चीते मंगवाए गए इसका तात्पर्य यह है कि वन्य जीव की प्रजातियां की संख्या कम होती जा रही है | कम होने के पीछे कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है।खेती में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग, आहार की समस्या  आदि के चलते वन्य प्राणियों की संख्या बेहद कम होती जा रही है। इसके चलते पक्षी के सामने पेट भरने की समस्या पैदा हो गई है। घास वाली जगहों पर आवारा कुत्ते एवं जंगली जानवर इनके  घोंसले को नष्ट कर इन पक्षियों के अंडों ,चूजों का शिकार कर लेते हैं। रहवास में ज्यादा से ज्यादा अब खेती होने लगी है। जंगल कम होने लगे इससे वन्य प्राणियों  को रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है।हम सबको इनकी सुरक्षा हेतु संरक्षित स्थानों को दूषित वातावरण से मुक्त रखना होगा ।अवैध शिकार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित करना होगी ।जिससे लुप्त होती  वन्य जीव की प्रजातियां  में वृद्धि दिखाई देकर लुप्तप्राय प्रजाति को बचाया जा सके एवं नई प्रजाति की खोज एवं शोध को जारी रखा जाकर वन्य प्राणियों की प्रजातियां को  बचाया जा सके। कई वन क्षेत्रों में तेंदुआ के द्वारा आसपास के रहवासियों पर हमला कर घायल होने की खबर पढ़ने की आती है।वन विभाग द्वारा तेंदुआ को पकड़े हेतु पिंजरा भी लगाया जाता।काफी मशक्कत के बाद तेंदुआ पिजरे में आता है।कैद तेंदुआ को पुनः किसी और जंगल मे छोड़ा जाता है।व्यवस्था में तेंदए को जंगल मे छोडने के पहले उसके गले मे ट्रांसमीटर बेल्ट लगाया जाकर उसे छोड़ा जाए ताकि रहवासी इलाको में आने पर उसकी लोकेशन को पता करने में आसानी होगी।साथ ही वनक्षेत्र में जहाँ  जहाँ बिना मुंडेर के कुएं हो,वहाँ मुंडेर बनाई जाकर कुएं को जाली से ढक  दिया जाना चाहिए ताकि जंगली जानवर कुएं में गिरने से बच सकें।नदी नालों के आसपास कैमरे भी लगे होने से उनकी स्थिति का पता लगाने में ज्यादा दौड़ भाग से बचा जा सकता है।तेंदुआ की खबर यदि लगे तो खेतों में जाने से सतर्कता बरती जाने हेतु गाँवों में ऐलान करने से जान माल की हानि होने से बचा जा सकता है।तेंदुआ क्षेत्र में दिखे जाने पर वन विभाग को सूचना अवश्य दे।ताकि तेंदुओ को शीघ्र पकड़ा जा सकने मे मददगार साबित हो सकें।

प्रश्न ये है कि चिड़ियाघर जानवरों के हित में ज्यादा है या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ?एक जानकारी के मुताबिक चिड़ियाघर लुप्तप्राय प्रजातियों के मददगार होते है |लेकिन कई स्थानों पर चिड़ियाघरों में जानवरों को रखने के नुकसान में यह तथ्य शामिल है कि जानवरों को अप्राकृतिक परिस्थितियों में रखा जाता है, और कुछ चिड़ियाघर आगंतुक जानवरों के साथ बातचीत करने में अपमानजनक या क्रूर भी महसूस कर सकते हैं।उनके परिसरों के अंदर कैद किए गए अधिकांश जानवर उदास हैं। वे निरंतर कैद में रहते हैं और उन सभी चीजों तक उनकी पहुंच नहीं है जो जीवन को दिलचस्प और आनंददायक बनाती हैं। और, अक्सर, वे प्रकृति में रहने की तुलना में बहुत पहले मर जाते हैं। चिड़ियाघरों में स्वाभाविक रूप से जगह की कमी होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाड़ा कितना बड़ा है, वह हमेशा जानवर के प्राकृतिक आवास से छोटा ही रहेगा। इससे कुछ जानवरों में बोरियत और मानसिक बीमारी हो सकती है, जिससे बार-बार खुद को नुकसान हो सकता है, जैसे आगे-पीछे घूमना या बार-बाइट करना।चिड़ियाघर की तुलना में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी 

 वो स्थान होते हैं जो विशेषकर वन्यजीवों के लिए आरक्षित होते  है, इसमें जानवर, सरीसृप, कीड़े, पक्षी आदि शामिल हैं। वन्य जीव  (संरक्षण) अधिनियम, 1972 भारत में संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना का प्रावधान करता है, और इसी के अंतर्गत वाइल्ड लाइफ सेंचुरी  स्थापना की गई है। देश में लगभग 560 वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हैंI ये संरक्षित क्षेत्र जंगली जानवर, विशेष रूप से वो जिनके ऊपर विलुप्त होने का खतरा है, के संरक्षण से सम्बंधित होते हैं ताकि वो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपनी आबादी को बनाए रखते है । इन क्षेत्रों में जानवरों का शिकार, और उनको मारना वर्जित होता है।

 दूसरा पक्ष देखे तो शहर में मनोरंजन के हिसाब से चिड़ियाघर का महत्व बहुत है, चिड़ियाघर बच्चों को अपनी तरफ खींचने का काम करता है। इसमें बच्चों और बड़ों के लिए जीव-जंतुओं के आहार-विहार, उनके स्वभाव तथा उनकी विशेषताओं को जानने का मौका मिलता है। उनके परिसरों के अंदर कैद किए गए अधिकांश जानवर उदास हैं। वे निरंतर कैद में रहते हैं और उन सभी चीजों तक उनकी पहुंच नहीं है जो जीवन को दिलचस्प और आनंददायक बनाती हैं। और, अक्सर, वे प्रकृति में रहने की तुलना में बहुत पहले मर जाते हैं।चिड़ियाघर इन जानवरों को एक सुरक्षित घर प्रदान करता है।चिड़ियाघर जानवरों की मदद करने के अलावा और भी बहुत कुछ करते हैं; वे ग्रह के कुछ दुर्लभ प्राणियों के लिए प्रजनन कार्यक्रम स्थापित करने के लिए दुनिया भर के अन्य चिड़ियाघरों के साथ भी सहयोग करते हैं। यह उन लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अब खतरे वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं, लेकिन यह विलुप्त होने के कगार पर मौजूद जानवरों के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब कुछ प्रजातियों को विलुप्त होने से रोककर पारिस्थितिकी तंत्र को अच्छी तरह से बनाए रखा जाता है तो यह चिड़ियाघर के महत्वपूर्ण लाभों में से एक है।चिड़ियाघरों में आमतौर पर सभी जानवरों के लिए ऑन-साइट चिकित्सा और देखभाल सेवाएं होती हैं। यदि उन्हें कोई चिकित्सा समस्या है, तो पशु चिकित्सक तुरंत उनकी सहायता कर सकते हैं। यह दुनिया के कुछ दुर्लभ प्राणियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है|  

 ये संरक्षित क्षेत्र जंगली जानवर, विशेष रूप से वो जिनके ऊपर विलुप्त होने का खतरा है, के संरक्षण से सम्बंधित होते हैं ताकि वो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपनी आबादी को बनाए रखें। इन क्षेत्रों में जानवरों का शिकार, और उनको मारना वर्जित होता है।वन्य जीवो को खुला आसमान स्वछंद विचरण आहार पानी एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबंध ही विलुप्त प्रजातियों में वंश वृद्धि ,अवैध शिकार पर नियंत्रण और उन्हें प्राकृतिक स्थलों की सुलभता ही वन्य प्राणियों की बेहतर व्यवस्था उनके वन्य जीवन की शान सिद्ध होगी | 

— संजय वर्मा “दॄष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच