गीतिका/ग़ज़ल

दस्तावेज

मेरी किस्मत की लकीरें

तेरी हाथों में कहीं तो होगी।

मेरी सांसें तेरी धड़कनों में

कहीं  धड़कती तो होगी।

आज कुछ रूखी -सी है मुलाकाते हमारी

कभी इसमें भी तपिश तो रही होगी।

बड़ा छोटा -सा था सफ़र हमारा

लेकिन अपने साथ की खुशबू अब भी होगी।

वादे जो प्यार के किए थे तुमने जुबानी

उन वादों के दस्तावेज कहीं तो होगी।

माना कुछ बचा नहीं दरम्यान हमारे

लेकिन बेनाम-से जज़्बात तो होगी।

— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P