कविता

वो लड़की हूँ

हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
चार दीवारी में कैद रखतें हो।
किसी ओर की हो तो
चार दीवारी में भी
नज़रे गड़ाए रखतें हों।

हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
घर की इज्जत समझते हो।
किसी ओर की हो तो
सरेआम चार लोगों के बीच
उसकी इज्जत उछालते हो।

हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
प्यार,मोहब्बत से दूर रखते हो
किसी ओर की हो तो
मोहब्बत के नाम से उसके
जिस्म की ख्वाहिश करते हो।

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233