हास्य व्यंग्य

एक पड़ोसी ऐसा भी

वैसे तो दुनिया के अधिकांश देश अपने दुख से दुखी कम दूसरे देशों के सुख से दुखी ज्यादा रहते है। लेकिन यह सब एक सीमा में ही करते हैं । लेकिन हमारा पड़ोसी दुनिया का एकमात्र ऐसा मुल्क है जिसके सारे दुख सुख हमारे भारत देश से ही जुड़े हुए हैं । अगर अपना देश दुखी है तो बेचारे खुश हो जाते हैं, और अपना देश खुश है तो बेचारे दुखी हो जाते हैं । उनकी गरीबी का आलम यह है कि उनके पास अपना कहने के लिए कुछ भी नहीं है दुख सुख भी नहीं है। इज्जत तो खैर है ही नहीं । उनके पास खाने के लिए भले ही आटा नहीं रहता है ,टमाटर नहीं रहता है। लेकिन उनके रक्षा मंत्री जेब में एक-एक पाव का बम लेकर कुत्ते टहलाने के लिए निकलते हैं। उनकी जनता को हमारे मोदी जी पसंद है और उनकी सेना को हमारा कश्मीर चाहिए जिसमें से दोनों ही चीज मिलने वाली नहीं है। क्योंकि भीख में अपने देश में आटा चावल देने का रिवाज हैं अपने घर की अमूल्य निधियां लुटाने का रिवाज नहीं हैं। हां दान में सबकुछ देने की परम्परा हैं अपने देश में हैं पर याचक सुपात्र होना चाहिए।

अपना पड़ोसी ऐसे तो हर चीज के लिए दूसरों पर आश्रित रहता है मांग मांग कर गुजर बसर करता है। वह कभी अमेरिका तो कभी चीन के आगे हाथ फैलाए खड़ा रहता है । लेकिन दो चीजों के लिए वह आत्मनिर्भर है इस बात के लिए तो उसे शाबाशी देनी चाहिए। पहला जानवर गधे और दूसरा इंसानी गधे दोनों उसके पास भरपूर मात्रा में है। एक को बेचकर वह अपने देश की अर्थव्यवस्था चलाता है । दूसरे देश को बेचकर अपनी वित्त व्यवस्था चलाते हैं। भगवान उन्हें इसमें वृद्धि प्रदान करें। जिस देश की अर्थव्यवस्था गधों के हवाले हो उसे देश को बर्बाद करने के लिए दूसरे देश की कोई जरूरत ही नहीं है वह खुद ही काफी है। यह खुद अपने आपके लिए भस्मासुर होते हैं।

हमारा पड़ोसी देश चाहे कितना भी छुपछुपा करके करें, उसके सर्वेसर्वा ऊपर ऊपर नफरत दिखाते हैं।लेकिन गाहे बगाहे उनका हमारे देश के प्रति प्रेम झलक और छलक ही जाता है । वह कहा जाता है ना कि नफरत भी प्रेम का ही एक रूप होता है। नफरत हम तब तक किसी से नहीं कर सकते हैं जब तक उस इंसान से पहले खूब गहरा प्यार नहीं रहा हो। नफरत हर किसी राह चलते इंसान से नहीं हो सकती है । उसके लिए भी जान -पहचान, नातेदारी -रिश्तेदारी रहना बहुत जरूरी होता है । और हमारा पड़ोसी अपना प्यार दिखाने के लिए गाहे-बगाहे तीज त्योहार पर या कभी भी छुप-छुप कर आने की बहुत कोशिश करता है। वह तोहफा भी लेकर आते हैं अब यह अलग बात है कि जिसके पास जो रहता है वही लेकर आता है । उनके पास बम बारूद है, नफरत है, तो वह वही लेकर आते हैं । लेकिन अपना देश भी अजीब है, मेहमान नवाजी से पूरी दुनिया का दिल जीत लेता है । पर अपने पड़ोसी का दिल नहीं जीत पाता है । हर बार उसे लात मार कर भगाता है। फिर भी उनकी सहनशीलता काबिले तारीफ है । वह अपनी कोशिश कभी कम नहीं करते हैं और ना कभी कम करने वाले हैं । लेकिन अपना देश भी पूरा गांठ का पक्का है जिसे छोड़ दिया उसे छोड़ दिया अब वह कहा उसे अपनाने वाला है।

— रेखा शाह आरबी

रेखा शाह आरबी

बलिया (यूपी )