कुण्डली/छंद

कुंडली – हिंदी भाषा

निज भाषा को छोड़कर, दूजी रहे अपनाय।

दूजी भाषा के तहत, पिता डैड कहलाय।

पिता डैड कहलाय, मात कहलाये मम्मी।

अभिवादन है हाय, सभ्यता बड़ी निकम्मी।

शर्मशार कर जाय, जब आवें किस डे हग डे।

निज संस्कृति को भूल, मन रहे भिन्न भिन्न डे।

हिन्दी हिंदुस्तान की, बोली है प्रिय ख़ास।

हिन्दी भाषा प्रेम का, करा रही आभास।

करा रही आभास, विश्व में बजता डंका।

हिन्दी निज सम्मान, न कोई मन में शंका।

तुलसी,सूर कबीर, ने बांटा हिन्दी ज्ञान।

भारतीयों के हिय, में हिन्दी हिन्दुस्तान।

— प्रदीप शर्मा, आगरा

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश