कविता

अध्यात्म संदेश 

 धर्म को दिल की गहराई से महसूस करो, 

अध्यात्म की सीढी पर विश्वास से चढो। 

तर्क और कुतर्क भी दीजिये वक्त आने पर, 

आत्म चिन्तन करने हेतु, स्व भूल आगे बढो। 

 आत्म चिन्तन मे छिपा, जगत का सार है, 

ईश्वर को पहचानने का जगत मे आधार है। 

सृष्टि के कण कण में प्रभु की अवधारणा, 

प्रकृति में छिपा, ईश्वरीय कृपा का उपकार है। 

 मानवता सर्वोपरि, यह अध्यात्म संदेश है, 

प्रकृति की संरक्षण, यह वेदों का संदेश है। 

संस्कारों की अवधारणा, संस्कृति का मूल, 

धर्म मार्ग पर गमन, यह गुरुओं का संदेश है। 

— अ. कीर्तिवर्द्धन