कविता

एक धर्मात्मा

वो आस्तिक या नास्तिक ही सही ,

पर पूरा तो ईमान रखता है …

इंसानियत के नाते ,

इंसान की पहचान रखता है,

नहीं करता कोई दिखावा ,

ना ही कोई आडम्बर करता है,

पर आन पड़े ज़रुरत तो,

हर गरीब की मदद करता है,

ना तेरा मेरा ,ना छोटा न बड़ा .

सबको एक आँख से तकता है,

सब इंसान एक हैं,

कोई जात पात का,भ्रम नहीं रखता है,

ना लाउडस्पीकर लगा कर

किसी की नींद हराम करता है,

ना दिखावे के लिए ,

किसी बाबा जी के,चरणों में पड़ता है,

पर सदा सच बोलता है,

और सबसे नम्रता से मिलता है,

हाँ, कोई नास्तिक कहे या आस्तिक,

पर मुझे तो एक धर्मात्मा दिखता है,

— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845