गीतिका/ग़ज़ल

काश

काश ऐसा खजाना मिल जाए
मुझे वो दोस्त पुराना मिल जाए

बीते लम्हों को सजा के रखना है,
नसीब में फिर जमाना मिल जाए

तकल्लुफ में बीते जो पल बेकशी के,
इश्क का वो नजराना मिल जाए

ख्वाब देखे थे नजरों ने अब तलक,
हमें वही तीर निशाना मिल जाए ।

अपनो की नजरों में रहे वेमुरब्बत हम,
अब शायद वो श्याना मिल जाए ।

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.