कविता
तुम्हारी अक्ल सारी खा गई है।
तुम्हें समझ मगर आ गई है।
ये दुनिया रंग अपना दिखला गई है
मैं हूं बुरा ये मुझको ही समझा गई है।
मिरा होना न होना एक बात ही है।
मुझे ये बात समझ में आ गई है।
हुआ दुःख मगर ये बात सच ही तो हैं
यहीं बात मिरी समझ में आ गई है।
— अभिषेक जैन