कविता

सैंटा

वो कौन है, वो कौन है, सैंटा कहलाता है,
हर घर मे वह रहता है वो पिता कहलाता है,
वो उम्मीद है वो आस है, हिम्मत और विस्वास है !!
वो कौन है, वो कौन है, सैंटा कहलाता है,
कुछ सख्त सा कुछ नरम सा अहसास प्यारा है,
आंधियों में भी हौसलों की दीवार दिखाता है !!
वो कौन है, वो कौन है, सैंटा कहलाता है,
खिलौना भी बचपन का हमने पाया है उससे,
जिम्मेदारी से हम सबको समर्थ बनाया उसने,
हमारे जीवन का सारथी है, महारथी भी तो है !!
वो कौन है, वो कौन है, सैंटा कहलाता है,
जमीर है, जागीर है, उसके पास सबकुछ है,
वो घर बहुत अमीर है, ये पिता जहां भी है,
वो कौन है, वो कौन है, सैंटा कहलाता है !!

— भगवती सक्सेना गौड़

*भगवती सक्सेना गौड़

बैंगलोर