क्षणिकाएँ
1-
तलाशता हूँ आज आदमी को
आदमी न जाने कहाँ खो गया
जिस चेहरे को भी देखता हूँ
आदमी की शक्ल में
हैवान छुपा मिलता है
2-
घर बटा
रुपया पैसा बटा
जर के साथ
बट गए माँ बाप भी
एक के हिस्से में माँ आई
दूजे के हिस्से बाप
3-
सूरज चलते चलते
अस्त की और बढ़ गया
मैं भी अग्रसर उस ओर ही हो रहा
अस्त होने से पहले
रोशनाई देकर जाऊंगा.