कविता

वीरान का वीरान

उनसे मिलने लगे जब अपने रास्ते

उसने अपना आशियां बदल लिया ।

गिला जब किया अपने आंसुओं का

उसने दामन अपना झटक दिया ।

उम्र भर किया जिसका इंतजार

वो किसी और का हो लिया ।

आपने दर्द का बयान किससे करें

जो हमदर्द था वही जख्म हरा कर गया‌ ।

बहुत चाहा तेरे प्यार से अपना घर सजाना

लेकिन मेरा घर वीरान का वीरान रह गया ।

— विभा कुमारी नीरजा

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P