गीत/नवगीत

नये साल का गीत

नया काल है,नया साल है,गीत नया हम गाएँगे।

करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

बीत गया जो,उसे भुलाकर,

हम गतिमान बनेंगे

जो भी बाधाएँ,मायूसी,

उनको आज हनेंगे

गहन तिमिर को पराभूत कर,नया दिनमान उगाएँगे।

करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

काँटों से कैसा अब डरना,

फूलों की चाहत छोड़ें

लिए हौसला अंतर्मन में,

हम दरिया का रुख मोड़ें

गिरियों को हम धूल चटाकर,आगत में हरषाएँगे।

करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

जीवन बहुत सुहाना होगा,

यही सुनिश्चित कर लें

बिखरी यहाँ ढेर सी खुशियाँ,

उनसे दामन भर लें

सूरज से हम नेह लगाकर,आलोकित हो जाएँगे।

करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।।

 — प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com