कविता

लक्ष्य पाने तक

लक्ष्य पाना है तो चलना होगाकुछ कर्म भी करना होगा,रुकना, थकना, डरना और भटकना नहींबस चलते ही जाना होगानिगाहें लक्ष्य पर और ख़ुद पर विश्वास रखडटना होगा लक्ष्य पाने तक।बाधाओं से लड़ना होगाउससे पार पाना ही होगाअति आत्मविश्वास से बचते हुए,निरंतर गतिशील रहना होगा,हार के डर को हराना होगालक्ष्य से भटकना नहीं होगालक्ष्य से निगाहें हटाना नहीं होगा।डराने, भटकाने, हौसला तोड़ने वालों सेसौ कदम दूर ही रहना होगालक्ष्य करीब पाकर खुश नहीं होना होगाखुश होने के लिए लक्ष्य तक जाना होगा।लक्ष्य से एक कदम पहले भी नहींसीधे लक्ष्य तक जाना होगा,लक्ष्य पाने तक तुम्हें चलते जाना होगा,लक्ष्य तुम्हारे इंतज़ार में हैबस तुम्हें रुकना नहीं चलते  ही जाना हैअपनी मंजिल, अपने लक्ष्य पर पहुंचने तक। सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

लक्ष्य पाना है तो चलना होगा
कुछ कर्म भी करना होगा,
रुकना, थकना, डरना और भटकना नहीं
बस चलते ही जाना होगा
निगाहें लक्ष्य पर और ख़ुद पर विश्वास रख
डटना होगा लक्ष्य पाने तक।
बाधाओं से लड़ना होगा
उससे पार पाना ही होगा
अति आत्मविश्वास से बचते हुए,
निरंतर गतिशील रहना होगा,
हार के डर को हराना होगा
लक्ष्य से भटकना नहीं होगा
लक्ष्य से निगाहें हटाना नहीं होगा।
डराने, भटकाने, हौसला तोड़ने वालों से
सौ कदम दूर ही रहना होगा
लक्ष्य करीब पाकर खुश नहीं होना होगा
खुश होने के लिए लक्ष्य तक जाना होगा।
लक्ष्य से एक कदम पहले भी नहीं
सीधे लक्ष्य तक जाना होगा,
लक्ष्य पाने तक तुम्हें चलते जाना होगा,
लक्ष्य तुम्हारे इंतज़ार में है
बस तुम्हें रुकना नहीं चलते  ही जाना है
अपनी मंजिल, अपने लक्ष्य पर पहुंचने तक।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921