कविता

कविता

प्यारी दादी, न्यारी नानी,
याद बच्चों को, सभी कहानी।
उनसे थी, दुनियाँ ही सुहानी,
भूले न भूलें, याद पुरानी।।

हँसना गाना, गले लगाना,
रूठोँ को वो, पल में हँसाना।
हलवा पूरी, लाड़ खिलाना,
बच्चों सँग, बच्चा बन जाना।।

बहू दामाद पर, प्यार लुटाना,
कभी न उनको, धता बताना।
घर की थीं, वो रौनक़ प्यारी,
जिनकी माँ थीं, राज कुमारी।।

इटावा की, फैशन गुड़िया वो,
बच्चों की, जादू पुड़िया वो।
याद करातीं, सबको नानी,
थीं वो सबमें, बड़ी सयानी।।

साथ हमारे, सदा हैं रहतीं,
पहले जैसी, कुछ न कहतीं।
हर पल ही वो, थोड़ा थोड़ा,
मानो रहती हैं, मुस्काती।।

कमी तो उनकी, हमें खले है,
गाड़ी फिर भी, ख़ूब चले है।
जीवन ही, इसको कहते हैं,
प्यारे साथ, सदा रहते हैं।।

बाबा नाना, थे मुरझाए,
लेकिन हैं वो, वापस आए।
हँसना फिर से, सीख रहे हैं,
पहले जैसे, खेल रहे हैं।।

लिखते हैं, दिन रात वो कविता,
सोते कम, पर फ़र्क़ न पड़ता।
उनको अब सब, अच्छा लगता,
सोना मँहगा, सस्ता लगता।।

उलझे थे, अब सुलझ रहे हैं,
रिंगते थे, फिर दौड़ रहे हैं।
राम लला के, आ जाने स