कविता

गठबंधन की अंतिम शर्त

अभी पूजा पाठ उठकर बाहर आया
तो सामने यमराज को कुर्सी पर बैठा पाया,
जनाब चाय की चुस्कियां ले रहे थे
साथ ही अख़बार भी पढ़े जा रहे थे।
मेरी तरफ उनका ध्यान नहीं गया
तो मैं भी उनके पास की कुर्सी पर बैठ गया,
और बड़े ध्यान से उनके चेहरे की भाव भंगिमा का
गहन अध्ययन करने लगा।
आज बड़े दिनों बाद उनके चेहरे पर
असीम संतोष और होंठों पर मुस्कान दिख रहा था।
तब तक बिटिया मेरी चाय लेकर आ गई
आहट सुन कर यमराज ने अखबार से चेहरा हटाया
मुझे बैठा देखकर हड़बड़ाया
अखबार मुझे पकड़ा हाथ जोड़कर  कहने लगा
प्रभु! अब मुझे बड़े सूकून का अहसास हो रहा है।
कल तक निमंत्रण ठुकराने वालों के
दिमाग का बंद दरवाजा अब खुलने लगा है,
राम जी के दरबार में आकर भूल सुधार करने का
दिमागी कीड़ा भी कुलबुलाने लगा है।
धीरे धीरे सब प्रभु राम की शरण में आने लगे हैं
कुछ आ रहे तो कुछ आने की तैयारी कर रहे हैं
जिन्हें राम काल्पनिक लग रहे थे
उनकी अक्ल के पर्दे अब भी हटने को तैयार नहीं हो है,
क्योंकि वे अभी तक पैदल ही चल रहे हैं,
सोचने समझने का वक्त नहीं पा रहे हैं।
उनके संगी साथी उन्हें एक एक कर छोड़ते जा रहे हैं
और वे अपनी यात्रा पूरी करने में लगे हैं,
किसी की भी नहीं सुन रहे हैं।
क्योंकि वे खुद को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझ रहे हैं
सचमुच का युवराज बनने का सपना देख रहे हैं।
मैंने कहा- इससे तुम्हें दिक्कत क्या है?
यमराज ने कहा प्रभु मुझे कोई दिक्कत नहीं है
उल्टे मुझे तो मज़ा आ रहा है
क्योंकि गठबंधन में आने का संदेश मुझे भी मिल रहा है,
मैंने भी उन्हें ससम्मान आश्वासन भिजवा दिया है,
मैं उनकी पार्टी के साथ गठबंधन जरुर करुँगा
एक भी सीट पर चुनाव लड़ने का दावा भी नहीं करुंगा
लेकिन यह तब संभव हो सकेगा
जब कोई दल उन्हें घास भी नहीं डालेगा।
अब चौंकने की मेरी बारी थी
मैंने पूछा ही लिया- इससे तुझे क्या मिलेगा?
यमराज सगर्व बोल पड़ा-
प्रभु! अब मैं भी राजनीति सीख गया हूँ
गठबंधन करने से पहले अपनी शर्तें रखूंगा
चुनाव के बाद प्रधानमंत्री तो मैं ही बनूंगा
शपथ रामजी के दरबार में ही लूंगा।
मंत्रिमंडल में सिर्फ रामभक्तों को ही शामिल करुँगा,
निमंत्रण ठुकराने के उनके गुनाह का
संपूर्ण पश्चाताप भी मैं ही करुँगा,
राम जी से अनुनय विनय कर
उनका अपराध माफ करने का आग्रह भी मैं कर लूँगा।
युवराज को राम दरबार में माथा टेकने की
अंतिम शर्त के साथ ही गठबंधन की
औपचारिक घोषणा भी मैं ही करुँगा,
शपथग्रहण समारोह का निमंत्रण
आपको सपरिवार आने के लिए भिजवा दूंगा,
आपके बिना मैं शपथ ग्रहण नहीं करुँगा
जय श्री राम के साथ अब आप से विदा लूंगा
अगली मुलाकात शपथ ग्रहण समारोह में ही करुँगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921