हास्य व्यंग्य

पुस्तक मेले से मूर्धन्य साहित्यकार की पुस्तक ग़ायब

अत्यंत दुख के साथ सूचित करने में आता है कि हमारे नगर के मूर्धन्य मार्डन साहित्यकार जिन्होंने अभी भी साहित्य की दुनिया में तहलका मचा रखा है उनके द्वारा लिखी गई कई किताबें , कई पुस्तक मेलों की जान बनी हुई है उनकी पुस्तक से साहित्य पुस्तक मेले को पहचान मिल रही है। कई नवोदय साहित्यकारों को लिखने की नई रहा मिल रही है । यह कहते हुए कोई संकोच नहीं हो रहा है बल्कि अत्यंत हर्ष का विषय मन में उल्लास मार रहा है । 

इन मॉडर्न साहित्यकार महाशय ने हाल ही में एक ऐसी पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है ” जागते रहो चौकीदार ” इस पुस्तक में इतना , इतना कुछ लिखा जिस पर चर्चा की जा सकती है इनकी जादूई लेखनी की वजह से यह पुस्तक कुछ दिनों पूर्व ब्लैक में बिक रही थी और लेखक के पास मात्र पांच पुस्तकें बची जो पांच तत्व की तरह इन्होंने संभाल कर रखी थी और इन पुस्तकों को लेकर वह अपने शहर के पुस्तक मेले में चले गए और जागते रहो चौकीदार की तरह इन पुस्तकों की चौकीदारी कर रहे थे लेकिन जिस स्थल पर इस पुस्तक को रखी थी उस स्टॉल से पांचो पुस्तकें गायब हो गई या यूं कहूं तो किसी साहित्यकार में आंखों में से काजल निकाल लिया । इस घटना ने मॉडल साहित्यकार को ऊपर से नीचे हिला कर रख दिया जैसे ठहरे हुए पानी में किसी ने कंकर मार दिया । पूरे मेले में खलबली सी मच गई आखिर यह हुआ तो हुआ कैसे यह सोचने वाली बात है। वहां पर लगी तीसरी आंख को भी उस चोर ने धोखा दे दिया । मेरे ख्याल से यह साहित्य इतिहास में पहली घटना होगी ।

यह सही है कि मर्डन साहित्यकार मूर्धन्य साहित्यकार होता है वह शब्द के साथ विचारों की कल्पना से धनवान होता है । व्हाट्सएप और फेसबुकिया यूनिवर्सिटी से साहित्य जगत की कई डिग्रीयां एवं कई सम्मान व पुरस्कार हासिल कर रखी है उनकी एक नहीं कई किताबें निकल चुकी है , जो किताब गायब हुई वह किताब कोई मामूली सी नहीं है वह किताब है ” जागते रहो चौकीदार ” मूर्धन्य मार्डन साहित्यकार की किताब गायब हो जाना निश्चित साहित्य जगत में एक ऐसी घटना है जिस पर जितना लिखा जाए । जितने प्रतिक्रिया की जाए उतना कम होगा क्योंकि , साहित्यक किताब गायब होना या फिर चोरी होना सनसनी खेज बात है । इनकी अब तक पांच छः दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें सात गजल संग्रह, चार कहानी संग्रह, तीन जुगाड़ी हाइकु संग्रह, सात व्यंग्य संग्रह, दो दोहा संग्रह शामिल हैं। ” जागते रहो चौकीदार ” यह साहाब का जबरदस्त किताबी और खिताबी मामला है यह इनकी साहित्य जीवन की जमा पूंजी है। इस किताब में कुल ” 56 ” लेख हैं। ये अपने , उनके , आपके , मेरे समय की आसपास होने वाली घटनाओं की विडम्बनाओं तथा विभिन्न प्रकार की घटनाओं पर केंद्रित भावों को सहजता से स्वीकार करते हुए , लिखते हुए कहते हुए पकडा गएं माफ करना पाए गए । सच पूछो तो चोरी हुई पुस्तक पर इसलिए लिखना पड़ रहा है कि हमारे नगर के वरिष्ठ साहित्यकार फर्जी ” पी एच डी ” ने इसकी समीक्षा विमोचन के पावन अवसर पर की थी और मुझ पर इस चोरी हुई घटना पर लिखने के लिए दबाव डाला गया । जब इस घटनाक्रम पर तमाम साहित्यकारों को पता चला तो किसी ने सीआईडी , सीबीआई , ई डी से जांच करने के लिए बात कही तो किसी ने आमरण अनशन की बात करके हड़ताल पर जाने की धमकी दी। इस प्रकार की कार्यवाही को होता देख मेला संचालन करने वाले में हलचल मच गई । 

मूर्धन्य मॉडर्न साहित्यकार के समर्थन में यह सब इसलिए किया जा रहा है कि इन साहित्यकारों के मन में लालच का लड्डू फूट रहा है वह इसलिए कि , मूर्धन्य मार्डन साहित्यकार की तरह आगे बढ़ने का लालच मन मे छुपें रुस्तम की तरह है । इसलिए मूर्धन्य मार्डन साहित्यकार के आगे पीछे घूम जा रहा है और पता लगाया जा रहा है कि , जागते रहो चौकीदार किताब मेले में से गायब हुई तो कैसे हुई ? 

— प्रकाश हेमावत 

प्रकाश हेमावत

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