कविता

महिलाओं का नेतृत्व

आज की नारी अबला नहीं रही, आज की नारी आकाश की ऊंचाइयां,समुद्र की गहराई ही नहीं, देश की सरहदों और युद्ध के मैदान के साथ कला साहित्य संस्कृति विज्ञान खेल कृषि, व्यवसाय हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति ही नहीं दमखम से अपनी सफलता का प्रेरक उदाहरण पेश कर रही हैं। वो समय अब इतिहास बन गया जब नारी को अबला,बेबस, लाचार, कमजोर माना जाता था। आज की नारी अपने फौलादी हौसले पुरुषों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा और हौसले से दो दो हाथ करने में भी नहीं हिचक रही है। जिसको हजारों उदाहरण हर दिन देखने को मिल रहे हैं। ज़रा खंगाल कर देखो तुम इतिहास तो पता चले कि पन्नों पन्नों पर अंकित है उनकी गौरव गाथा। जहां युद्ध के मैदान में वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अपनी शौर्य गाथा लिखी थी, तो अंतरिक्ष में कल्पना चावला ने उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। राजनीति में इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में आयरन लेडी का तमगा हासिल किया धाक जमाई। खेल के मैदान में पीटी उषा ने, मानवता की रक्षा में अपना जीवन समर्पित कर मदर टेरेसा, भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू, स्वर साम्राज्ञी  लता मंगेशकर, भारत के प्रथम नागरिक के रूप में प्रतिभा ताई पाटिल, विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज, लोकसभा अध्यक्ष के रुप में मीरा कुमार और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नारी वर्चस्व का उदाहरण है। 
  फोर्ब्स की टॉप 100 पावरफुल महिलाओं की लिस्ट में भारत की चार महिलाओं निर्मला सीतारमण के अलावा एचसीएल कॉरपोरेशन की चेयरपर्सन रोशनी नादर मल्होत्रा, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन सोमा मंडल और बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ का नाम शामिल किया गया है।
      प्राचीन भारत की विदुषी महिलाओं में विश्वरैया, अपाला, घोषा,गार्गी, लोपामुद्रा,मैत्रेयी,बिकता, रत्नावली आदि का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है।
      आज हर क्षेत्र में नारियां अपने दम पर अपनी पहचान पुख्ता कर रही है। घर की चारदीवारी से बाहर की दुनिया में अपनी क्षमता से सबका ध्यान खींच रही हैं। वैश्विक दुनिया में सरकार, व्यवसाय, उच्च शिक्षा, गैर-लाभकारी उद्यमों और जीवन के अन्य क्षेत्रों में कई महिलाएं नेतृत्व क्षमता की कसौटी पर पुरुषों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। अब नारियों के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता या अपरिहार्य नहीं रहा। नाज़ुक, कमजोर और शारीरिक बनावट का बहाना कहावतों में ही रह गयी है।समाज की दोहरी मानसिकता को चुनौती देती नारी माँ, बहन, पत्नी, बेटी के रूप में प्रकृति को अपनी ताकत मान घर की नींव , सृष्टि का आधार और राष्ट्र ,समाज को आधी आबादी की महत्ता का इतिहास समझाती जा रही है, नारी हमारे समाज की रीढ़ ही नहीं देश का मान, सम्मान स्वाभिमान भी हैं। 
     आज यह मान लेने में संकोच का कोई कारण नहीं है कि यदि नारियों को अधिकाधिक संख्या में विभिन्न क्षेत्रों के अलावा सत्ता का नेतृत्व दिया जाता है या ऐसी व्यवस्था बनाई जाती है, तो न्याय प्रक्रिया और प्रभावी होगी, अनाचार, अत्याचार, अपराध, भ्रष्टाचार पर आश्चर्यजनक रूप से कमी आयेगी और यदि उनकी शासन प्रशासन में नेतृत्व के स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, खेल, कला, साहित्य के साथ विकास के क्षेत्रों में उनकी समुचित भागीदारी होगी, तो न केवल नारी सशक्तिकरण से हमारा समाज बदलेगा, बल्कि एक नये सामाजिक, सैद्धांतिक और सार्वजनिक वातावरण की नई पृष्ठभूमि भी तैयार होगी। नर- नारी शक्ति का अभीष्ट संयुक्त संयोजन होने से नारी का समुचित विकास, नारी जीवन के सशक्त आधार को सार्थक मजबूती प्रदान करेगा। उसकी खुशियों का संसार व्यापक होगा, उसे अधिकतम सुरक्षा, संरक्षा का बोध होगा। 
   आज यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यदि हमें नारी के सम्मान, स्वाभिमान की वास्तव में रक्षा करना है और उनकी शक्ति को आसमान के स्तर का बोध कराना है तो उसे शिक्षित कर उसे आगे बढ़ने का पूरा अवसर देना होगा और रूढ़िवादी सोच से बाहर आकर कुंठित विचारधारा की भेंट चढ़ने से बचाना होगा, साथ ही उनकी वास्तविक क्षमता का बेहतर अवसर देकर सदुपयोग करना होगा तो निश्चित ही समाज का अधिकतम विकास, देश का उद्धार और राष्ट्र का स्वाभिमान ऊंचाइयों को जरूर प्राप्त करेगा।
     वर्तमान युग में पुरुषों को भी सोचना होगा कि आपके समक्ष जो खडी है उसे भी उतना ही हक है सांस लेने और साथ चलने का जितना आपको तो आइए साथ चले और नारी के इस न ए कलेवर का स्वागत करे। उसे देवी न मान समाज का मजबूत स्तम्भ मानें। 

*सुधीर श्रीवास्तव

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